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हमें कौन खा रहा है , स्पष्ट होना जरूरी

हम क्या खा रहे हैं यह ज्यादा मायने नहीं रखता बल्कि हमें कौन खा रहा है उसकी स्पष्टता होना जरूरी हैं । मेडिटेशन रिएक्ट करने की बजाय रेस्पोंड करना सिखाता है , एक्ट को ठीक करो तो रिएक्ट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी - डॉ प्रेम मसंद माउंट आबू, २5 जून। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में सुरक्षा सेवा प्रभाग के तत्वावधान में देश के सुरक्षा प्रहरियों के लिए आयोजित किए गए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन चिकित्सा विशेषज्ञों ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए सुरक्षा बलों के अधिकारियों व जवानों को विकटतम परिस्थितियों में भावनात्मक रूप से दुरुस्त रहने के उपाय सुझाये।  भावनात्मक स्थिरता विषय पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए केंसररोग विशेषज्ञ डॉ. प्रेम मंसद ने कहा कि मन में संकल्प, भावनायें, महसूसता, दृष्टिकोण, वृत्ति, कृत्ति का एक संसार बसा हुआ है। तनावपूर्ण जीवनशैली व अनावश्यक सोच से केंसर जैसी घातक बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। डर, तनाव, बेचैनी, बीपी, शूगर, मोटापा, संशय जैसी अधिकतर व्याधियां हमारे संकल्पों से ही उत्पन्न होती हैं। सकारात्मक सोच के साथ भावनात्...