आबु पर्वत,16 अगस्त की शाम कुमहरवाड़ा क्षेत्र मे तेंदुए द्वारा शिकार कर मारी गई गाय के अवशेषों को नगरपालिका और वन विभाग के संयुक्त प्रयासों से पास ही के वन क्षेत्र मे निस्तारित किया गया। गोराछपरा पार्षद एवं स्वच्छता समिति अध्यक्ष अमित मकवाना की अगुवाई मे क्षेत्रीय वन अधिकारी महेंद्र सक्सेना, वनकर्मियों एवम पालिकाकर्मियों द्वारा इस कार्य को अंजाम दिया गया।
रविवार की शाम घात लगाकर बैठे तेंदुए ने दिन मे, जब कुछ ही दूरी पर बच्चे खेल रहे थे और कुम्हारवाड़ा - गोरा छपरा मार्ग पर वाहनों व लोगों की आवाजाही जारी थी उसी दौरान गायों के झुंड पर हमला कर एक गाय को मार डाला था । कुछ ही समय मे मौके पर भारी संख्या मे लोग एकत्रित हो गए जिन्हें कोविड 19 प्रोटोकाल, सामाजिक दूरी व सुरक्षात्मक एहतियातों के तहत वन विभाग द्वारा तीतर बीतर किया गया था। हालांकि शोर होने और लोगों के इकट्ठे होने के बावजूद तेंदुआ कभी गाय को खाता, तो कभी पास ही स्थित चट्टान पर जा कर बैठ जाता।
स्थानीय लोगों के अनुसार 16 रविवार की शाम से तेंदुआ वहीं पर अपना डेरा जमाये हुए था जिस वजह से कौतूहलवश उसे देखने के लिए लोग बार बार एकत्रित हो जाते थे। साथ ही क्षेत्रवासियों और जंगली जानवर के मध्य टकराव की संभावनाओं के चलते अनिष्ट की आशंका भी बनी हुई थी इस कारण वन विभाग और नगरपालिका ने मौजूदा समस्या का स्थायी रूप से निदान कर दिया।
वन विभाग द्वारा वन्यजीव गणना 2018 के अनुसार क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान मे 635 तेंदुए पाये गए जिनमे 420 संरक्षित क्षेत्र मे और 215 संरक्षित क्षेत्र के बाहर हैं। गणना के अनुसार जंवाई वन्यजीव संरक्षण रिजर्व में 30, कुंभलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य में 131, सीतामाता वन्यजीव अभ्यारण्य में 42, टोड्गढ़ राओली अभ्यारण्य ( अजमेर के समीप ) में 47, पेंथर संरक्षण रिज़र्व सुमेरपुर में 30 तथा आबू पर्वत में 48 तेंदुए पाये गए थे। आबु पर्वत मे तेंदुआ ( पेन्थेरा पारडस ) वन्य क्षेत्र के समीप स्थित मानव बस्तियों से अपना शिकार मुख्यतः असंरक्षित गाय, बकरी, श्वान इत्यादि प्राप्त करता है । यदि गायों, बकरियों, श्वानों के साथ कोई रखवाला ( परिपक्व मनुष्य) होता है तो आमतौर पर तेंदुआ हमला नहीं करता है फिर भले ही घना जंगल ही क्यों न हो। गाय - भैंसों के घरों ( वाड़ा ) के मजबूत द्वार के साथ साथ उनकी समय समय पर मरम्मत व देखरेख द्वारा भी पशुधन की तेंदुए से रक्षा की जा सकती है ।
स्थानीय लोगों के अनुसार 16 रविवार की शाम से तेंदुआ वहीं पर अपना डेरा जमाये हुए था जिस वजह से कौतूहलवश उसे देखने के लिए लोग बार बार एकत्रित हो जाते थे। साथ ही क्षेत्रवासियों और जंगली जानवर के मध्य टकराव की संभावनाओं के चलते अनिष्ट की आशंका भी बनी हुई थी इस कारण वन विभाग और नगरपालिका ने मौजूदा समस्या का स्थायी रूप से निदान कर दिया।
वन विभाग द्वारा वन्यजीव गणना 2018 के अनुसार क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान मे 635 तेंदुए पाये गए जिनमे 420 संरक्षित क्षेत्र मे और 215 संरक्षित क्षेत्र के बाहर हैं। गणना के अनुसार जंवाई वन्यजीव संरक्षण रिजर्व में 30, कुंभलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य में 131, सीतामाता वन्यजीव अभ्यारण्य में 42, टोड्गढ़ राओली अभ्यारण्य ( अजमेर के समीप ) में 47, पेंथर संरक्षण रिज़र्व सुमेरपुर में 30 तथा आबू पर्वत में 48 तेंदुए पाये गए थे। आबु पर्वत मे तेंदुआ ( पेन्थेरा पारडस ) वन्य क्षेत्र के समीप स्थित मानव बस्तियों से अपना शिकार मुख्यतः असंरक्षित गाय, बकरी, श्वान इत्यादि प्राप्त करता है । यदि गायों, बकरियों, श्वानों के साथ कोई रखवाला ( परिपक्व मनुष्य) होता है तो आमतौर पर तेंदुआ हमला नहीं करता है फिर भले ही घना जंगल ही क्यों न हो। गाय - भैंसों के घरों ( वाड़ा ) के मजबूत द्वार के साथ साथ उनकी समय समय पर मरम्मत व देखरेख द्वारा भी पशुधन की तेंदुए से रक्षा की जा सकती है ।
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