आबू पर्वत , 3 सितम्बर 2020
बीते ज़माने ... पुराने लोग
जो बीत गए हैं वो ज़माने नहीं आते
आते हैं नए लोग पुराने नहीं आते ....
ये हाल तेरे बाद गुलिस्ताँ का हुआ है
बच्चे भी यहाँ फूल चुराने नहीं आते
आते हैं नए लोग पुराने नहीं आते
जो बीत गए हैं वो जमाने नहीं आते ।
इस सूखे हुए पेड़ की तरफ देख रहा हूँ
पंछी भी यहाँ रात बिताने नहीं आते
आते हैं नए लोग पुराने नहीं आते
जो बीत गए हैं वो ज़माने नही आते ।
लकड़ी के मकानों मे चरागों को न रखो तुम
अब आग पड़ोसी भी बुझाने नहीं आते
आते हैं नए लोग पुराने नहीं आते
जो बीत गए हैं वो ज़माने नहीं आते ॥
- सुरेश थिंगर , आबू पर्वत
माउंट आबु के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष न सिर्फ एक उम्दा वक्ता, राजनीतिज्ञ और नेता है बल्कि साथ ही एक लोकप्रिय पत्रकार, एक गायक और एक कवि भी हैं । आज प्रातः वंदन के साथ सुरेश जी ने 'अर्बुद समय' के साथ स्वरचित और अत्यंत ही मार्मिक कविता साझा की है जो बीते ज़माने और पुराने लोगों पर आधारित है । आशा है आपको यह उत्कृष्ट कृति और आबू के रूहानी मौसम का विडियो पसंद आएगा ।
...उमेद सिंह राठौर , अर्बुद समय
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