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दिलवाड़ा स्थित विष्णु मंदिर मे ग्रेनाइट से बनी अद्भुत कलाकृति |
आबू पर्वत एक ऐसा शहर है जो पूर्ण रूप से पर्यटन पर ही निर्भर है । समुद्र तल से लगभग 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह छोटा सा हिल स्टेशन अपने पर्यटन स्थलों और पुरातात्विक धरोहरों के मामले मे बहुत ही विशाल है ।
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11वीं और 13वीं शताब्दी मे संगमर्मर से बने जैन मंदिर अपनी महीन कारीगरी को लेकर विश्वविख्यात है वहीं 15वीं शताब्दी का अचलगढ़ किला व शिव मंदिर , ट्रेवर टेंक वन्यजीव अभयारण्य , नक्की झील व सूर्यास्त स्थल आदि देश विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं ।  |
विष्णु मंदिर का लंबे समय से रुका हुआ जीर्णोद्धार |
आबू पर्वत के पर्यटन के विकास को लेकर स्थानीय लोग , प्रशासन , राजनेता , अधिकारी आदि नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने पर बल देते हैं और इसी क्रम मे कुछ पर्यटन स्थल विकसित भी हुए हैं जैसे नक्की झील पर वंडर पार्क , आइ लव माउंट - आबू सेल्फी पॉइंट आदि । जबकि गौर किया जाए तो इसकी कोई आवश्यकता ही नहीं है । जरूरत इस बात की है की जो प्राचीन और एतिहासिक विरासतें हमारे पास हैं , हम उनपर ध्यान दें । देखरेख के अभाव मे आबू पर्वत की कई पर्यटन सम्पदाएं अपने अंत की तरफ अग्रसर हैं । जैसे की 5000 साल प्राचीन पांडवों द्वारा निर्मित विष्णु मंदिर , 15वीं शताब्दी मे महारणा कुंभा द्वारा निर्मित अचलगढ़ किला , मन्दाकिनी कुंड , गौ मुख आदि ।  |
गणपती विसर्जन से लेकर अभी तक पानी मे मौजूद सामाग्री , कचरा आदि |
वहीं कुछ प्रमुख प्राकृतिक पर्यटन स्थल भी साफ सफाई के अभाव मे पर्यटन पर विपरीत प्रभाव डाल रहे हैं । अनादरा पॉइंट मार्ग पर गणपती विसर्जन स्थल पर लंबा समय बीत जाने के बाद भी विसर्जित की गई वस्तुएँ जैसे नारियल , चुनरी आदि पानी के सतह पर तैरते हुए पर्यटकों के अनुभवों को खट्टा करतीं हैं । सच मानिए , हमे नए पर्यटन स्थल विकसित करने की आवश्यकता नहीं है ...... हमें जरूरत है हमारे पास पहले से ही मौजूद विरासत को सँजोने , सँवारने ..... उसे साफ रखने की ।
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