श्री पांडे ने बताया पिछले वर्ष पूर्व डीएफओ बालाजी करी के नेतृत्व में गश्त के दौरान अग्नेश्वर मंदिर के पास लोगों द्वारा मारपीट की घटना घटी थी । इसके उपरांत थाने मे एफआईआर दर्ज हुई और उसके बाद वन विभाग द्वारा वन क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने को लेकर 8 नोटिस दिये गए । इनमे से किसी का जवाब नहीं मिला क्योंकि संभवतया कागजात थे ही नहीं ।
इस घटना की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी गई जिसपर कोर्ट द्वारा आबू पर्वत मे वन्य क्षेत्र मे किए गए अतिक्रमणों की सूची मांगी गयी व उनपर कार्यवाही व परिणाम मांगे गए । इसपर कार्यवाही की गई व मंदिर के आसपास मौजूद अवैध अतिक्रमण व निर्माण को धार्मिक भावनाओं को ध्यान मे रखते हुए मामूली क्षति ही पहुंचायी गयी ।
इस दौरान मौजूद लोगों द्वारा वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों जिनमे महिलाएं भी शामिल थीं पर पथराव , गाली गलोच व मारपीट की कोशिश की गई । इसपर विभाग द्वारा थाने मे एफआईआर दर्ज कारवाई गई ।
मंगलवार को करीब 7 बजे ऑफिस समय के उपरांत धमकाने की मंशा को लेकर 20 - 25 लोग वन विभाग कार्यालय आए आए व घर से निकालकर मारेंगे , ईट का बदला खून से जैसे धमकी भरे शब्दों का प्रयोग किया । साथ ही पत्थर , तलवार व भाले भी फेंके ।
श्री पांडे ने कहा की विभाग किसी भी सूरत में धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकता । समाधान पर बात करते हुए उन्होने कहा की साधू संतों के साथ मीटिंग बुलाई जानी चाहिए व आपस मे मिलकर बार बार उत्पन्न हो रही टकराव की स्थिति को समाप्त करना चाहिए ।
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