ओम शान्ति का मंत्र देता है मन को गहन शान्ति - राजयोगिनी मोहिनी बहन
माउंट आबू, २७ नवम्बर।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय अतिरिक्त मुख्य प्रशासिक राजयोगिनी मोहिनी बहन ने कहा कि ओम शान्ति के मंत्र का जीवन में समावेश होने से सच्चे सुख व शान्ति की अनुभूति की जा सकती है। जो व्यक्ति समाज में रहकर शांति, पे्रम, सदभावना और नैतिक मूल्यों को स्थान नहीं देता वह इस धरती पर बोझिल मानसिकता के साथ जीवन यापन करता है।
समाज के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी है उसे समझना होगा। आज समाज को सुधारने की बातें तो की जाती है लेकिन उन्हें स्वरूप में लाने की स्वयं से शुरुआत करने की परिपाटी को बढ़ावा देना चाहिए। प्रत्यक्ष को प्रमाणों की कोई आवश्कता नहीं होती। वे संगठन के अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय पाण्डव भवन परिसर के राजयोग सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थी।
उन्होंने कहा कि धर्म और आध्यात्म एक ही सिक्के के दो पहलू हैं किन्तु धर्म के सही अर्थ को न समझने के कारण ही धर्म के नाम पर दुनिया में जो रक्तपात हुुुए हैं उन जख्मों को भरने के लिए धर्म के वास्तविक स्वरूप को जानने की जरूरत है क्योंकि धर्म का मूल सन्देश ही मानवीय एकता, परस्पर मैत्री और शान्तिप्रिय गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
संगठन के संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके शशिप्रभा बहन ने कहा कि जीवन में कुछ प्राप्त करने के लिए त्याग की जरूरत होती है इसलिए अनावश्यक इच्छात्मक भावनाओं को समाप्त कर दूसरों को देने की इच्छा को हकीकत में लाने की जरूरत है। प्राचीन भारतीय संस्कृति की वसुधैव कुटुम्बकम की भावनाओं को साकार करने, विश्व में शान्ति व मानवीय एकता स्थापित करने के लिए आध्यात्मिकता ही एक सशक्त माध्यम है।
संगठन की वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके शीलू बहन ने कहा कि वर्तमान में स्वयं के भाग्य को बनाने का सुनहरा अवसर है। यदि इस स्वर्णिम वेला को व्यर्थ चिंतन में ही गंवा दिया तो जीवन में अशांति, उदासी अपने पैर पसारने लग जाती है जिससे वातावरण भी दूषित होने लगता है। सदभावना के माध्यम से ही परस्पर शांति और प्रेम के बीज अंकुरित होते हैं।
कार्यक्रम में समाजसेवा प्रभाग उपाध्यक्ष बीके अवतार, राजयोग प्रशिक्षिका बीके भूमि बहन, बीके हेमलता बहन, बीके ऊषा बहन, बीके चंद्रशेखर, बीके शशिकांत, बीके रविंद्र कानाडे समेत बड़ी संख्या में राजयोगी श्रद्धालूगण उपस्थित थे।
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