रमेश भाई ओझा ने अर्पित किए श्रद्धासुमन
कथावाचक रमेश भाई ओझा ने कहा कि मानसिक व बौद्धिक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए नैतिक मूल्यों को किसी भी सूरत में दरकिनार नहीं करना चाहिए। शुद्ध व पवित्र विचारों के साथ की गई साधना के परिणामस्वरूप ही आध्यात्मिक भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। ईश्वरीय ज्ञान को आत्मसात करने से मन की उलझने समाप्त हो जाती हैं। यह बात उन्होंने गुरुवार को ब्रह्माकुमारी संगठन के अंर्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय पाण्डव भवन का अवलोकन करते हुए कही।
संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके. शशिप्रभा ने कहा कि अंतद्वंद्व के कारण लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाने में मुश्किल अनुभव होता है। वास्तविक व गहरी प्रेरणा का धरातल मजबूत न होने की स्थिति में निश्चित उद्देश्य भी स्पष्ट नहीं होते जिससे कार्य अधूरे रह जाते हैं।
ग्लोबल अस्पताल निदेशक डॉ. प्रताप मिढ्ढा ने कहा कि संस्कारवान प्रवृत्तियों वाले लोग अपवादों में समय गंवाने के बजाए जनकल्याण के कार्यों को निष्ठापूर्वक मूर्तरूप देने में अग्रसर रहते हैं।
होटल उद्यमी श्रीमती गीता अग्रवाल ने कहा कि जीवन के लक्ष्य व मार्ग के संबंध में स्पष्ट धारणा होनी चाहिए। विचारों व क्रियाओं में अनिश्चित, अस्पष्ट व धूमिल बनने से कभी प्रगति नहीं होती है। किसी भी कार्य की सफलता को मनोस्थिति हर दृष्टि से विवेकशील होनी चाहिए।
कथावाचक रमेश भाई ओझा के पांडव भवन पहुंचने पर संगठन के पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया। जिसके बाद ओझा ने संगठन संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की समाधिस्थल शांति सतंभ पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। विश्व शांति व मानवीय एकता के लिए बाबा की ओर से उच्चारित महावाक्यों की जानकारी लेने के बाद ओझा ने बाबा की तपस्यास्थली कुटिया, हिस्ट्री हॉल, बाबा का कमरा आदि का अवलोकन कर सहज राजयोग का अभ्यास किया।
इस अवसर समाजसेवी मणि भाई जोशी, श्रीमती हीरा बेन जोशी, ग्लोबल अस्पताल की आहार विशेषज्ञ सुजाता राठी, चंद्रशेखर सांगप्पा, शशिकांत, सुरेंद्र महापात्र आदि उपस्थित थे ।
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