कंपयुटर शिक्षा से चरित्रवान संस्कारों का निर्माण असंभव
ज्ञान सरोवर में राष्ट्रीय शिक्षक सम्मेलन का खुला सत्र
माउंट आबू
पुणे एमआईटी वल्र्ड पीस यूनिवर्सिटी कुलपति डॉ. मिलिंड पांडे ने कहा कि शिक्षा का अर्थ स्कूलों, कालेजों व विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर डिग्री प्राप्त करना ही नहीं है बल्कि जरूरत इस बात की है कि लोगों में जनजागृति लाकर उन्हें जीवन का व्यवहारिक ज्ञान दिया जाए। मूल्यों की गिरावट के माहौल में मनुष्य अपनी पहचान कैसे बरकरार रखे इस पर गहन चिंतन की जरूरत है। कंपयुटर शिक्षा से चरित्रवान संस्कारों का निर्माण असंभव है। नैतिक मूल्यों से संपन्न शिक्षक ही शिक्षा के माध्यम से चरित्र की गरीबी को दूर कर सकते हैं। वे सोमवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में शिक्षा प्रभाग सम्मेलन के खुले को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कंपयुटर ज्ञान प्रदान करने का संवेदनाशून्य माध्यम है, शिक्षक विद्यार्थी में व्याप्त अज्ञानता को दूर करके संस्कारों को श्रेष्ठ बनाने का पुण्य कार्य करता है। प्रतिस्पर्धा के दौर में युवा पीढ़ी में अनुशासनप्रियता, देशभक्ति की भावना, सामाजिक पुनर्निर्माण के कार्यों में रूचि पैदा करने को शिक्षा शास्त्रियों का अहम दायित्व है। समूचे विश्व के मनोबल, चरित्रबल व ज्ञानबल बढ़ाने को ब्रह्माकुमारी संगठन के साथ अन्य विश्वविद्यालयों को भी पुरातन भारतीय संस्कृति को अक्षुण्य रखने का भागीरथ कार्य करना चाहिए।
श्रीधर युनिवर्सिटी पिलानी के पूर्व कुलपति कमांडर डॉ. भूषण देवान ने शिक्षकों को अपने दायित्वों के प्रति सदैव निष्ठावान बने रहने पर बल देते हुए कहा कि विचारों की, आचरण की व सस्ंकारों की गरीबी को दूर करने से समाज को सुधारने की प्रक्रिया को गतिमान किया जा सकता है। शिक्षा विभिन्न वर्गों को आपस में जोडऩा सिखाती है। धर्म-कर्म के ब्राह्य प्रदर्शन की परिपाटी परे रहकर एक दूसरे की विशेषताओं को प्राथमिकता देते हुए केवल शिक्षाप्रद उपदेशों पर ही ध्यान देना चाहिए।
शिक्षा प्रभाग की भोपाल क्षेत्रीय संयोजिका बीके किरण ने कहा कि देश का निर्माण कक्षाओं से होता है लेकिन समय व परिस्थितियों को देखते हुए उन कक्षाओं में आध्यात्मिकता जुडऩे पर ही सफलता संभव है।
प्रभाग की अधिशासी सदस्य बी.के. लीना बहन ने कहा कि मूल्यप्रेरक शिक्षा से ही जीवन में प्रेम, शान्ति व अलौकिक शक्ति की ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। मूल्यपरक रचनात्मक गतिविधियों से जीवन उत्थान के नए अवसर प्राप्त होते हैं।
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