वनरक्षक सरूपाराम की शव पर सबसे पहले पड़ी थी नज़र
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मांगीदेवी |
"हमें तो अपनो ने लूटा गैरों में कहां दम था , मेरी कश्ती थी डूबी वहां जहां पानी बहुत कम था" । बस यही हुआ गोकलाराम के साथ । फरेब के शिकार 26 वर्षीय गोकलाराम को क्या पता था की उसकी 20 वर्षीय पत्नी मांगीदेवी अपने प्रेमी पन्नाराम और उसके दोस्त के साथ मिलकर उसकी जान तक ले लेंगे । यही नहीं , शव को भी इस हालत में पहुंचा देंगे की सग्गे भाई तक को बूट और कमीज़ के आधार पर छोटे भाई की पहचान करनी होगी ।
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क्षतविक्षत शव |
बाड़मेर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी प्रेस नोट के आधार पर बाखासर के हेमावास गांव का निवासी गोकलाराम 10.5.23 को अहमदाबाद के लिए निकला था । 12.5.23 तक अहमदाबाद न पहुंचने पर उसके भाई ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई थी । पुलिस की जांच में गुमशुदा के मोबाइल की लोकेशन डीसा , पालनपुर , आबूरोड व माउंट आबू आ रही थी । पूछताछ के दौरान सामने आया की गोकलाराम की हत्या कर शव तलेटी से आबूरोड के रास्ते पर इमली मोड़ से आगे फेंक दिया गया है । पुलिस द्वारा वनकर्मियों व समाजसेवियों की सहायता से 16 , 17 व 18 मई को शव की सघन तलाश की गई । इस दौरान डॉग स्क्वाड और ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल भी किया गया । आखिर सफलता हाथ लगी और शव मिल गया । डामर रोड से 200 मीटर नीचे मिला शव सड़ी गली हालात में था जिसकी पहचान बड़े भाई सेंघाराम ने छोटे भाई के जूतों व कमीज़ के आधार पर की ।वनरक्षक सरूपाराम ने खोजा था शव
बाड़मेर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी प्रेस नोट में जांच टीम में 15 अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम हैं जिन्होंने इस गुत्थी को सुलझाने में अहम भूमिका निभाइ है । इनमें छीपाबेरी पुलिस चौकी प्रभारी भवानीसिंह सोढा , कॉन्स्टेबल रमेशचंद्र सहित शव को सबसे पहले ढूंढने वाले माउंट आबू वन विभाग के वनरक्षक सरूपाराम चौधरी का नाम शामिल है । हालांकि डीएफओ विजयपाल सिंह , क्षेत्रीय वन अधिकारी गजेंद्र सिंह पंवार , वनपाल मोहनराम सहित माउंट आबू के पूरे वन विभाग का इस अभियान में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।report : umed singh rathore
(president : journalist association of rajasthan (JAR) , branch: mount abu)
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