सशक्त, समृद्ध कृषि व्यवस्था के पुनर्निर्माण को गहन चितंन की जरूरत
ब्रह्माकुमारी संगठन में राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन का समापन सत्र
माउंट आबू, ०५ जून
उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम प्रबंध निदेशक जितेंद्र कुमार तोमर ने कहा कि सशक्त, समृद्ध भारतीय कृषि व्यवस्था के पुनर्निर्माण को लेकर गंभीरतापूर्वक चितंन करने की आवश्यकता है। भारत की प्राचीन सशक्त कृषि व्यवस्था पर अनुसंधान करने से ही अनाज की पौष्टिकता प्राप्त की जा सकती है। पूर्वजों की पुरातन पंरपराओं को अनदेखा कर आधुनिकता के रंग ने प्राकृतिक रूप से खेती व्यवस्था पर ग्रहण लगा दिया है। ब्रह्माकुमारी संगठन के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ जुडक़र किए जा रहे प्रयास रंग ला रहे हैं। देश भर में संगठन के कृषि व ग्राम विकास सेवा प्रभाग द्वारा गांव-गांव में जाकर जो सेवायें की जा रही हैं उनसे किसान लाभान्वित हो रहे हैं। यह बात उन्होंने ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर में स्वर्णिम, सशक्त व आत्मनिर्भर भारत का पुनर्निमाण विषय पर कृषि व ग्राम विकास सेवा प्रभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
महाराष्ट्र से आए पूर्व सांसद, किसान मोर्चा उपाध्यक्ष शिशुपाल पटले ने कहा कि प्राकृतिक रूप से खेती की पैदावार करने की परिपाटी को फिर से जागृत करने की जरूरत है। भारत की हर प्रकार की समृद्धि से ही भारत को सोने की चिडिय़ा कहा जाता था। विदेशी संस्कृति को छोड़ स्वदेशी संस्कृति के अनुरूप खेती करने से ही शुद्ध अनाज ग्रहण कर बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है।
प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी बीके सरला बहन ने प्रभाग के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसान भारत की शोभा हैं। कृषि अधिकारियों व वैज्ञानिकों को ईश्वरीय कर्मों की खेती को भी स्वयं की जीवनशैली में आत्मसात करना चाहिए।
प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके सुनन्दा बहन ने जैसा संग वैसा रंग की व्याख्या करते हुए संस्कृति, संस्कार व संबंधों में प्रकृति का समावेश करने पर बल दिया।
समापन सत्र में प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके शशिकांत, अधिशासी सदस्य राजेंद्र पलवल, बीके करण, बीके शोभा बहन ने भी पर्यावरण के वैभवों का संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य में सुधार, यौगिक खेती से प्रकृति व मानव का विकास, स्वास्थ्यवर्धक आहार, टिकाऊ खेती की व्यवस्था आदि विषयों पर प्रेरणादायी विचार व्यक्त किये ।
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