कलियुग और सतयुग की बॉर्डर लाईन पर खड़ा है मानव- सिन्हा
माउंट आबू, 11 सितम्बर
बिहार विधानसभा नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मानव कलियुग और सतयुग की बॉर्डर लाईन पर खड़ा है। 19वीं सदी में स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी। जिसके चलते वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को मूर्तरूप देने का कार्य भारत कर रहा है। शीघ्र ही इस धरा पर महान परिवर्तन दिखाई देने लगेगा। संसार को ब्रह्माकुमारी संगठन से महान प्रेरणायें मिल रही हैं। युग परिवर्तन के कार्य में तत्पर ब्रहाकुमारी संगठन विश्व के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है। जनसेवाओं, जन आकांक्षाओं के साथ मानवता के कल्याण की जिम्मेवारी को सूक्ष्म रूप से निभाने का युग परिवर्तन का कार्य ब्रह्माकुमारी संगठन द्वारा किया जा रहा है। इसी धरती पर देवाताओं का वास था। फिर से उस स्वर्णिम संसार की पुनस्र्थापना में भारत राजयोग के माध्यम से अहम भूमिका अदा कर रहा है। वे ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में माइंड, बॉडी, मेडिसन विषय पर आयोजित सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
ब्रहकुमारी संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी डॉ निर्मला दीदी ने कहा कि संसार में भौतिक चक्षुओं से जो कुछ दिखाई देता है वह वास्तविक नहीं है। जब मनुष्य स्वयं की वास्तविकता को समझ लेंगे तभी वे अपने व संसार की प्रक्रिया को पूर्णरूप से जानने में सक्षम हो सकेंगे।
चिकित्सा प्रभाग के अध्यक्ष, केंसर सर्जन, डॉ. अशोक मेहता ने कहा कि जब मनुष्य की चेतना संगठित रूप में एक ही प्रकार का संकल्प करती है तो उसकी सामूहिक सोच नि:संदेह ही प्रकृति को भी प्रभावित कर सकती है। वर्तमान परिवेश में मनुष्य तनाव व अवसाद जैसी विकृतियों की मार झेल रहा है।ग्लोबल अस्पताल निदेशक डॉ प्रताप मिढ्ढा ने कहा कि मानव अपने आंतरिक आत्मा मूलभूत शक्ति, गुण, शांति, आनंद, पवित्रता, प्रेम आदि की स्मृति के साथ संकल्पों को वातावरण में प्रवाहित करने से स्वस्थ, समरस व सुखमय मानवीय संस्कृति, श्रेष्ठ सभ्यता की संरचना का निर्माण हो सकता है।
इस अवसर पर प्रभाग के सचिव डॉ बीके बनारसी लाल, ग्लोबल अस्पताल की मुख्य परिचारिका सुश्री बीके रूपा उपाध्याय आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
सहभागियों ने सांझा किए अपने अनुभव
तीन दिन तक चले चिकित्सा सम्मेलन में विभिन्न सत्रों के माध्यम से हुए संवाद, ध्यान, योग, मेडिटेशन में हुए अनुभवों को भारत व नेपाल से आए चिकित्सकों ने सांझा करते हुए राजयोग को जीवनशैली का अभिन्न अंग बनाए जाने पर बल दिया।
Comments