सदभाव , सौहार्द की मिसाल थे मुन्ना भाई
माउंट आबू
कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे लोगों की पीड़ा देखी नहीं जाती और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो उस पीड़ा को ठीक करके ही दम लेते हैं । मंतूफ अली उर्फ मुन्ना भाई एक ऐसी ही शख्शियत थे । नक्की झील पर व्यवसाय करने वाले राकेश अरोड़ा ने बताया की मुन्ना भाई शहर में हिन्दू मुस्लिम एकता के जीते जागते उदाहरण थे । उनके जनाज़े में मुस्लिम समाज के लोगों के साथ साथ बड़ी संख्या में हिन्दू सहित दूसरे समाज के लोग भी उपस्थित थे । हों भी क्यों ना , मुन्ना भाई के जादुई हाथों ने ताउम्र सिर्फ दर्द देखा । धर्म , जात - पात , गरीब - अमीर कभी उनके शब्दकोश में थे ही नहीं । कमर , कंधा , घुटना , मोच , नाभि ... मुन्ना भाई ने हर मर्ज में लोगों को राहत दी । उनका असमय इस दुनिया से चले जाना , एक बहुत बड़ा नुकसान है ।
मिले आर्थिक सहायता
इरशाद (बंटी) ने बताया की मुन्ना भाई के 3 बच्चे हैं । बेटी की शादी मार्च में होनी थी । परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर है । उनका जल्दी चले जाने से परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है । उम्मीद है की प्रशासन , भामाशाह , समाजसेवी संस्थाएं आगे आकर मुन्ना भाई के मानवता के प्रति योगदान के लिए उनका शुक्रिया अदा करने का प्रयास करेंगे । कोशिश करेंगे की परिवार को किसी प्रकार से आर्थिक सहायता मुहैया हो सके ।
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